The Family of Imraan - Aal-i-Imraan
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سورة آل عمران
(और ऐ रसूल वह वक्त भी याद दिलाओ) जब ख़ुदा ने पैग़म्बरों से इक़रार लिया कि हम तुमको जो कुछ किताब और हिकमत (वगैरह) दे उसके बाद तुम्हारे पास कोई रसूल आए और जो किताब तुम्हारे पास उसकी तसदीक़ करे तो (देखो) तुम ज़रूर उस पर ईमान लाना, और ज़रूर उसकी मदद करना (और) ख़ुदा ने फ़रमाया क्या तुमने इक़रार लिया तुमने मेरे (एहद का) बोझ उठा लिया सबने अर्ज़ की हमने इक़रार किया इरशाद हुआ (अच्छा) तो आज के क़ौल व (क़रार के) आपस में एक दूसरे के गवाह रहना और तुम्हारे साथ मैं भी एक गवाह हूं फिर उसके बाद जो शख्स (अपने क़ौल से) मुंह फेरे तो वही लोग बदचलन हैं तो क्या ये लोग ख़ुदा के दीन के सिवा (कोई और दीन) ढूंढते हैं हालॉकि जो (फ़रिश्ते) आसमानों में हैं और जो (लोग) ज़मीन में हैं सबने ख़ुशी ख़ुशी या ज़बरदस्ती उसके सामने अपनी गर्दन डाल दी है और (आख़िर सब) उसकी तरफ़ लौट कर जाएंगे (ऐ रसूल उन लोगों से) कह दो कि हम तो ख़ुदा पर ईमान लाए और जो किताब हम पर नाज़िल हुई और जो (सहीफ़े) इबराहीम और इस्माईल और इसहाक़ और याकूब और औलादे याकूब पर नाज़िल हुये और मूसा और ईसा और दूसरे पैग़म्बरों को जो (जो किताब) उनके परवरदिगार की तरफ़ से इनायत हुई(सब पर ईमान लाए) हम तो उनमें से किसी एक में भी फ़र्क़ नहीं करते और हम तो उसी (यकता ख़ुदा) के फ़रमाबरदार हैं और जो शख्स इस्लाम के सिवा किसी और दीन की ख्वाहिश करे तो उसका वह दीन हरगिज़ कुबूल ही न किया जाएगा और वह आख़िरत में सख्त घाटे में रहेगा भला ख़ुदा ऐसे लोगों की क्योंकर हिदायत करेगा जो इमाने लाने के बाद फिर काफ़िर हो गए हालॉकि वह इक़रार कर चुके थे कि पैग़म्बर (आख़िरूज़ज़मा) बरहक़ हैं और उनके पास वाजेए व रौशन मौजिज़े भी आ चुके थे और ख़ुदा ऐसी हठधर्मी करने वाले लोगों की हिदायत नहीं करता أُو۟لَٰٓئِكَ جَزَآؤُهُمْ أَنَّ عَلَيْهِمْ لَعْنَةَ ٱللَّهِ وَٱلْمَلَٰٓئِكَةِ وَٱلنَّاسِ أَجْمَعِينَ ﴿٨٧﴾ ऐसे लोगों की सज़ा यह है कि उनपर ख़ुदा और फ़रिश्तों और (दुनिया जहॉन के) सब लोगों की फिटकार हैं और वह हमेशा उसी फिटकार में रहेंगे न तो उनके अज़ाब ही में तख्फ़ीफ़ की जाएगी और न उनको मोहलत दी जाएगी | ||